Maa Durga Aarti : जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी, तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी॥
Maa Durga Aarti : नवरात्रि के इन पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है,
जो अपने भक्तों के दुखो को दूर कर धन सम्पति व खुशियाँ प्रदान करती है।,
मां दुर्गा शक्ति व ज्ञान प्रतीक मानी जाती है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए
रोजाना मां दुर्गा की आरती जरूर करें। आगे पढ़ें मां दुर्गा की आरती-
आरती श्री अम्बाजी जी की
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामागौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ॥ 1 ॥ जय अम्बे०
माँग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको ।
उज्ज्वलसे दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ 2 ॥ जय अम्बे ०
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै ।
रक्त- पुष्प गल माला, कण्ठनपर साजै ॥ 3 ॥ जय अम्बे०
केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी ।
सुर नर मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ 4 ॥ जय अम्बे ०
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत सम ज्योती ॥ 5 ॥ जय अम्बे०
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती । धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥ 6 ॥ जय अम्बे०
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ 7 ॥ जय अम्बे०
ब्रह्माणी, रुद्राणी तुम कमलारानी ।
आगम-निगम – बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ 8 ॥ जय अम्बे ०
चौंसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ ।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥ 9 ॥ जय अम्बे ०
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता सुख सम्पति करता । ॥ 10 ॥ जय अम्बे ०
भुजा चार अति शोभित, वर- मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥ 11 ॥ जय अम्बे०
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बाती ।
श्री मालकेतुमें राजत कोटिरतन ज्योती ॥ 12 ॥ जय अम्बे ०
श्री अम्बेजीकी आरति जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पति पावै ॥ 13 ॥ जय अम्बे०

Navratri Poojan Vidhi | नवरात्रि पूजन विधि
अम्बे तू है जगदम्बे काली
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब, उतारे तेरी आरती ॥
तेरे जगत के भक्त जनन पर,
भीड़ पड़ी है भारी माँ,
दानव दल पर टूट पड़ो,
माँ करके सिंह सवारी,
सौ सौ सिहों से तू बलशाली,
अष्ट भुजाओं वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती,
ओ मैया हम सब, उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब, उतारे तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग में,
बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत कपूत सुने है पर ना,
माता सुनी कुमाता,
सब पे करूणा दर्शाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती,
ओ मैया हम सब, उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब, उतारे तेरी आरती ॥
नहीं मांगते धन और दौलत,
ना चांदी ना सोना माँ,
हम तो मांगें माँ तेरे मन में,
एक छोटा सा कोना,
सबकी बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती,
ओ मैया हम सब, उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब, उतारे तेरी आरती ॥
मंत्र स्तुति
- ॐ सर्वमंगल मांग्लये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ॥
- ॐ या देवि सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्ये नमो नमः ॥