Hanuman Darshan Prapti Mantra ।। हनुमान दर्शन प्राप्ति मंत्र

हनुमान दर्शन प्राप्ति मंत्र ।। Hanuman Darshan Prapti Mantra

 

आज मैं आपको हनुमान जी की एक ऐसी दिव्य साधना के बारे मे बताने वाला हूँ। अगर आप इसे सिद्ध कर लेते है।

तो आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी और साक्षात हनुमान जी के दर्शन भी प्राप्त होगें। सीधे शब्दों मे कहा जाए

तो यह हनुमान जी के साक्षात दर्शन प्राप्ति साधना ही है।

यंत्र स्थापना

सर्वप्रथम प्राण प्रतिष्ठित ‘हनुमान यंत्र’ को प्राप्त कर लें, किसी मंगलवार की रात्रि में स्वयं स्नान कर लाल रंग का शुद्ध वस्त्र पहन हनुमान यंत्र को लकड़ी के पटरे पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर सिन्दूर छिड़क कर स्थापित कर दें, दक्षिण दिशा की ओर आपका मुख हो ।

यंत्र पूजन व विधि

  1. पहले गुरु ध्यान कर वीर मुद्रा में बैठ कर घी का दीपक जलायें
  2. सामने स्थापित हनुमान यंत्र को स्नान करा कर उस पर तेल मिश्रित सिन्दूर का लेपन करें, स्वयं भी सिन्दूर का तिलक करें।
  3. लाल पुष्प और कोई भी फल नैवेद्य रूप में समर्पित करें।
  4. तत्पश्चात् मंत्र सिद्ध ‘मूंगा माला’ से निम्नलिखित मंत्र का 21 माला मंत्र जप करें। मूंगा की माला न हो तो रुद्राक्ष की इस्तेमाल करें।
  5. रोज पूजा समाप्ति के पश्चात राम नाम जपकर आरती अवश्य करें।

मंत्र

|| ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय हनुमते नमः ।।

महत्वपूर्ण बाते

जप समाप्ति पर वहीं लाल बिछौने पर शयन करें। यही क्रम 11 दिनों तक नित्य दोहरायें तथा नैवेद्य को स्वयं ग्रहण करें । यथा संभव मौन रहें तथा प्रयोग को भी गोपनीय ही रखें। पूर्ण एकानिष्ठ भाव व विश्वास के साथ साधना सम्पन्न करने पर अंतिम दिन बजरंग बली प्रसन्न होकर दर्शन देते हैं तथा सभी विपदाओं का शमन करते हुए पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं।

Hanuman Darshan Prapti Mantra ।। हनुमान दर्शन प्राप्ति मंत्र
Hanuman Darshan Prapti Mantra ।। हनुमान दर्शन प्राप्ति मंत्र

साधना के आवश्यक नियम

  1. हनुमान साधना में शुद्धता अनिवार्य है
  2. पूर्ण साधना काल में अखण्ड ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य ही करें।
  3. मंत्र जप करते समय दृष्टि सदैव यंत्र पर ही टिकी रहे।
  4. किसी भी इस्त्री को बुरी दृष्टि से न देखे।
  5. माता-पिता के रोज चरण स्पर्श करे।
  6. मांस मदिरा वह इसका सेवन करने वालो से दूर रहे।
  7. साधना काल मे घर मे प्याज लहसुन का इस्तेमाल करे।
  8. 11 दिनों की साधना मे मोबाइल फोन को स्पर्श भी नही करना चाहिए।
  9. अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें।
  10. साधना के समय घर से बाहर न जाए।
  11. साधना काल मे बाल न कटवाए।

साधना सामग्री

  1. लाल पुष्प यथा कमल, गुड़हल आदि को ही अर्पित करें ।
  2. नैवेद्य में प्रातः पूजन में गुड़, लड्डू, व बूंदी।
  3. दोपहर में गुड़, घी‌ और गेहूं की रोटी का चूरमा।
  4. रात्रि में कोई भी फल आम, अमरूद या केले नैवेद्य आदि।
  5. इस साधना में घी की एक या पांच बत्तियों वाला दीपक जलायें ।
  6. .हनुमान जी का चित्र या प्रतिमा ।
  7. लकड़ी की चौकी व लाल कपड़ा ।
  8. स्वयं के लिये आसन।
  9. लौंग, इलायची, सुपारी और पान।
  10. .गुलाब का खुशबूदार इत्र।
  11. पानी का कलश व नारियल ।
  12. हनुमान जी का परना व लंगोट सवा 2-2 मीटर दोनों ।
  13. जनेऊ का जोड़ा।

मंत्र दीक्षा

  1. ‘हनुमान मंत्र दीक्षा’ प्राप्त कर साधना में जल्दी सिद्धि प्राप्त होती है। और सिद्ध होने पर प्रथम बार में ही इष्ट के साक्षात् स्वरूप से दर्शन संभव होते है।
  2. साथ ही साधना की अवधि में किसी प्रकार की विघ्न-बाधा अथवा भयावह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
  3. साधना काल में एकान्तवास तथा मौन अत्युत्तम है ।

संकल्प

शारीरिक अथवा मानिसक रोगों की समाप्ति के लिए उसी प्रकार का संकल्प मंत्र जप से पहले अवश्य ले लेना चाहिए ।

मात्र 11 दिनों तक नियम पूर्वक किया गया यह विलक्षण प्रयोग अतुलनीय बल, पराक्रम व निष्काम सेवा भक्ति से साधक

को आप्लावित कर उसे जीवन के उच्चतम सोपान पर प्रतिष्ठित कर देता है।

॥ आरती हनुमान॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥

लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥

बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥

कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥

लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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