श्री दुर्गा माता साधना ।। Durga Mata sadhna
आज मैं आपको दुर्गा माता की साधना के बारे मे बताने वाला हूँ । अगर ये साधना आपकी सम्पूर्ण हो जाती है। मां दुर्गा आपकी हर मनोकामना पूर्ण करेगी। आपके परिवार की हमेशा रक्षा करेगी। आगे पढ़े दुर्गा माता साधना विधि
साधना सामग्री
- ‘आद्या शक्ति दुर्गेश्वरी यंत्र’, श्री साफल्य गुटिका,
- दुर्गा शक्ति माला, रुद्राक्ष की माला भी ले सकते है।
- श्री दुर्गा माता का चित्र या प्रतिमा।
- लकड़ी की चौकी व लाल कपड़ा।
- गाय के घी का दीपक और धूप।
- पुष्प, चावल, रौली और मौली।
- यंत्र पूजन के लिए पंचामृत, सुपारी लौंग और इलायची।
- स्वयं के बैठने के लिए आसन।
- भोग के लिए लड्डू, मिसरी, और मेवे का प्रसाद।
- एक साफ सुथरा कमरा जहां किसी का ज्यादा प्रवेश ना हो।
साधना विधान
साधक प्रातः काल स्नान करके आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
सामने चौकी के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर भगवती दुर्गा का सुन्दर सा आकर्षक चित्र स्थापित करें।
भगवती के चित्र के सामने कुंकुम से रंगे हुए. लाल चावल की ढेरी बना कर उस पर ‘आद्या शक्ति दुर्गेश्वरी
यंत्र’ को स्थापित करें। इसके पश्चात् निम्न विधि से पूजन करें-
आचमन
दाहिने हाथ में जल लेकर स्वयं आचमन करें
- ॐ ऐं आत्मतत्वं शोधयामि नमः ॥
- ॐ ह्रीं विद्यातत्वं शोधयामि नमः ॥
- ॐ क्लीं सर्वतत्वं शोधयामि नमः ॥
इसके बाद हाथ धो लें।
आसन शुद्धि
इस मंत्र का जाप कर आसन पर जल छिड़कें ।
- ॐ पृथ्वि। त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनं ।।
संकल्प
दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प करे और निचे दिये गये मंत्र का जाप करे।
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अस्य ब्रह्मणो द्वितीय परार्द्ध श्वेत वाराह कल्पे जम्बूद्वीपे भरतखंडे आर्यावर्ते देशान्तर्गते पुण्य क्षेत्रे कलियुगे, कलि प्रथम चरणे अमुक गोत्रोत्पन्नोऽहं (अपना गोत्र बोलें) अमुक शर्माऽहं (अपना नाम बोलें) सकल दुःख दारिद्र्य निवृत्तिमम मनोकामना पूर्ति निमित्तं भगवती दुर्गा सिद्धि प्राप्ति निमित्तं च पूजनं करिष्ये ॥
एक बात पर ध्यान दे मंत्र मे जहां भी अपना गोत्र और नाम बोलने को कहा गया है। वहाँ अपना नाम और अवश्य बोले।
उसके पश्चात जल धरती पर छोड़ दें ।
गणपति पूजन
हमारे सनातन धर्म मे किसी भी शुभ कार्य या पूजन से पहले गणपति पूजन होता है। हाथ मे पुष्प व चावल लेकर
इस मंत्र का जाप कर, गणेश जी के चरणो मे चढ़ाए।
मंत्र
- ॐ गं गणपतिम् आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नमः।
पुष्पासनं समर्पयामि । स्नानं समर्पयामि, तिलकं अक्षतान्
च समर्पयामि । धूपं दीपं नैवेद्यं निवेदयामि नमः ||
गुरु पूजन
इसके बाद पंचोपचार से या षोड़शोपचार से गुरुदेव का पूजन करें और प्रार्थना करें। और इस मंत्र का जाप करे।
गुरु मंत्र
- गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
कलश स्थापन
अपने बायीं ओर जमीन पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर कलश स्थापन करें। उसमें जल भर दें।
इसके बाद कलश में चारों ओर कुंकुम से चार तिलक लगा दें। उसमें सुपारी, अक्षत, दूब और पुष्प तथा गंगाजल डालें।
ऊपर नारियल रख दें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें|
मंत्र
- ॐ श्रीश्चते लक्ष्मीश्च पत्न्यां महो रात्रे पार्श्व नक्षत्राणि रूपमश्विनौ त्यातम्।
इष्णनिषाण मुम्मऽइषाण सर्वलोकम्मइषाण ।।
इसके बाद कुंकुम से रंगे हुए चावल को दाहिने हाथ से निम्न मंत्र को पढ़ते हुए कलश पर चढ़ावें ।
- ॐ महाकाल्यै नमः ।
- ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।
- ॐ महासरस्वत्यै नमः ।
- ॐ नन्दजायाये नमः ।
- ॐ धूमाये नमः ।
- ॐ शाकम्भर्ये नमः ।
- ॐ भ्रामर्ये नमः ।
- ॐ दुर्गायै नमः ॥
भगवती दुर्गा के चित्र को पानी के छींटे देकर साफ कपड़े से पोंछ दें और पूजन करें
ध्यान
दोनों हाथ जोड़ें श्री
- जगदम्बाये : ध्यानं समर्पयामि नमः ॥
आवाहन
भगवती का आह्वान करें-
ॐ जगदम्बाये आवाहनं समर्पयामि नमः||
स्वागतम
दोनों हाथ में पुष्प लेकर स्वागत करें –
- ॐ जगदम्बाये स्वागतं समर्पयामि नमः ॥
पाद्य
जल में दूध मिलाकर दूब में चढ़ावें ।
- ॐ जगदम्बायें पाद्यं समर्पयामि नमः |
आचमन
लौंग तथा जायफल जल में डाल कर चढ़ायें
- ॐ जगदम्बाये आचमनं समर्पयामि नमः ॥
अर्ध्य
दूब, तिल, चावल एवं कुंकुम जल में डाल कर चढ़ायें
- ॐ जगदम्बाये अर्घ्यं समर्पयामि नमः ||
मधुपर्क
दूध में दही, घी एवं शहद मिला कर चढ़ायें
- ॐ जगदम्बायै मधुपर्क समर्पयामि नमः ।।
स्नान
स्नान हेतु जल चढ़ायें
- परमानन्द बोधाब्धि निमग्न निजमूर्तये । सांगोपांग मिदं स्नानं कल्पयाम्यहमीश ते ।।
वस्त्र
वस्त्र के स्थान पर मौली चढ़ायें:
ॐ जगदम्बायै वस्त्रो पवस्त्रं समर्पयामि नमः । गन्थ अक्षतान् समर्पयामि नमः ॥
पुष्प, धूप, दीप
- ॐ जगदम्बायै पुष्पं धूपं दीपं दर्शयामि नमः ।।
नैवेद्य, दक्षिणा
- ॐ जगदम्बायै नैवेद्यं निवेदयामि नमः ।।
- दक्षिणां द्रव्यं समर्पयामि नमः ।।

दुर्गा साधना मंत्र
बांयें हाथ में गुटिका लेकर मुट्ठी बन्द कर दें। दायें हाथ में
‘माला’ लेकर निम्न मंत्र की 5 माला मंत्र का जप करें –
- ।। ॐ दुम दुर्गे दुर्गतिनाशाय दुम ॐ फट् ।।
महत्वपूर्ण बाते
दुर्गा शक्ति की यह साधना नवरात्रि में नौ दिन सम्पन्न करनी है प्रत्येक दिन पांच माला मंत्र जप के अलावा नवार्ण
मंत्र (ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे), दुर्गा सप्तशती पाठ इत्यादि भी सम्पन्न करें। यथा संभव एक समय भोजन कर
नौ दिन तक निरन्तर साधना करें।
समर्पण
- गुह्यातिगुह्यगोप्त त्वं गृहाणास्मत् कृतं जपम् ।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वतप्रसादान महेश्वरि ।।
साधना समाप्ति
दोनों हाथ में पुष्प लेकर भगवती को चढ़ावें तथा प्रसाद वितरण करें। नवरात्रि साधना के नौ दिन पूर्ण होने पर लाल वस्त्र में बांध
कर यंत्र गुटिका और माला को जल में प्रवाहित कर दें।
कलश के जल को सारे घर में छिड़कें, शेष जल तुलसी के पौधे में डाल दें। कलश के ऊपर जो नारियल है, उसे प्रसाद
के रूप में सपरिवार ग्रहण करें।
यदि सम्भव हो, तो अन्तिम दिन कुआंरी कन्याओं को भोजन करा कर उचित दक्षिणा प्रदान करें।
आरती
इसके पश्चात मां भगवती जगदम्बा की आरती सम्पन्न करें।
दुर्गा मां की आरती
- ॐ जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ 1 ॥ ॐ जय अम्बे… - मांग सिन्दूर विराजत टीकॊ मृगमदकॊ ।
उज्ज्वल से दोऊ नयना, चंद्रवदन नीको ॥2॥ ॐ जय अम्बे… - कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै ॥3॥ ॐ जय अम्बे… - केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर, नर, मुनिजन सेवत, तिनकॆ दुःखहारी ॥4॥ ॐ जय अम्बे… - कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मॊती ।
कटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत् ज्योति ॥5॥ ॐ जय अम्बे… - शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्रविलॊचन नॆना निशदिन मदमाती ॥6॥ ॐ जय अम्बे… - चण्ड मुण्ड संहारॆ, शॊणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दॊउ मारॆ, सुर भयहीन करे ॥7॥ ॐ जय अम्बे… - तुम ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥8॥ ॐ जय अम्बे…. - चौसठ यॊगिनी गावत, नृत्य करत भैरु।
बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू ॥9॥ ॐ जय अम्बे… - तुम ही जगकी माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुःखहर्ता, सुख सम्पत्ति करता ॥10॥ ॐ जय अम्बे… - भुजा आठ अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥11॥ ॐ जय अम्बे… - कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।
श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥12॥ ॐ जय अम्बे… - श्री अम्बेजी की आरती जो कॆई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै ॥13॥ ॐ जय अम्बे..