केतु ग्रह शांति का सिद्ध शाबर मंत्र, हवन व पूजन की सही विधि | Ketu grah shanti shabar mantra.
दोस्तों हम आपका स्वागत करते है। हमारी website mantramol मे। आज की पोस्ट मे हम आपको ” Ketu grah shanti shabar mantra ” , हवन व पूजन की सही विधि बताने जा रहे है। उसके इलावा केतु ग्रह का चरित्र व जाति वर्ण के बारे मे भी बात करने वाले है। दोस्तों आज आपको सब बताने वाले है। कि केतु के हमारे जीवन पर क्या बुरे व अच्छे प्रभाव पड़ते है। केतु के बुरे प्रभाव से हमे किन्ह रोगो का सामना करना पड़ता है। और हम कैसे केतु ग्रह के अशुभ फल को शुभ फल मे बदल सकते है। ज्यादा जानकारी के लिए आपको हमारी ये पोस्ट अंत तक पढ़नी होगी। धन्यवाद
ध्यान रखने योग्य बाते
आज मै आपको केतु ग्रह को शाबर मंत्र से कैसे शांत कर सकते हैं। वह बताने जा रहा हूँ। केतु ग्रह का आप पर जो भी बुरा प्रभाव है। दूर हो जाएगा। आपके कार्य मे जो भी रूकावट है। वो भी दूर हो जाएगी। आपका मन शांत हो जाएगा। मै आपको जो विधि बताने जा रहा हूँ। आप वैसे ही करे कुछ भी कम या अधिक करने का प्रयास न करे। ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे। मास मदिरा से दूर रहे। प्याज लहसुन का सेवन न करे। किसी की चुगली निंदा न करे। माता पिता का आदर करे। और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।
केतु ग्रह का चरित्र
दोस्तों केतु ग्रह राहु के धड़ के हिस्से बोला जाता है। राहु व केतु दोनो ग्रह विप्रचिति व सिंहिका का पुत्र है। और शुक्राचार्य इनके गुरु है। समुद्र मंथन के समय जब राहु ने छल से अमृत ग्रहण कर लया था। तब सूर्य व चंद्र देव ने राहु के पहचान लिया था। तब उन्होंने श्री विष्णु भगवान का बता दिया तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से राहु को शीश धड़ से अलग कर दिया था। फिर राहु भगवान शिव के शरण मे जाते है। और इन्साफ मांगते है। तब भगवान शिव शीश को राहु और धड़ को केतु नाम देते है। और उन्हें नवग्रह मे स्थान देते है। तब से इन्हें राहु केतु के नाम से पहचाना जाता है। केतु ग्रह बहुत क्रोधित स्वाभ का है।
केतु ग्रह का स्वाभ व जाति वर्ण
1. केतु यह कृश्ण वर्ण का क्रूर ग्रह हैं। इसके द्वारा, हाथ-पाव, क्षुधा जनित कष्ट एवं चर्म रोग का विचार किया जाता हैं।
2. यह गुप्त शक्ति, बल, कठिन कर्म, भय तथा कमी का कारक हैं। कुछ स्थतियों में केतु श्याभ ग्रह भी माना जाता है।
केतु ग्रह के हमारे जीवन पर बुरे प्रभाव
1. घर मे हमेशा क्लेश रहता है।
2. चोटे बहुत लगती है।
3. किसी ना किसी तरहा से आपको मुसीबतो का सामना करना पड़ता है।
3. दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।
4. हमेशा भय सा बना रहता है।
5. हमेशा घबराहट सी रहती है।
6. नये शत्रु बन जाते है।
7. कार्य ठप्प पड़ जाता है।
8. हमेशा बिहार रहता है।
Rahu grah shanti shabar mantra, and vidhi
केतु ग्रह के बुरे प्रभाव के कारण
1.अपनी पत्नी पर हाथ उठाने से।
2. जुआ सट्टा व नशा करने से।
3. मास मदिरा का रोज सेवन करने से।
4. झूठ बोलने व धोखा घड़ी करने से।
5. केतु कभी कभी जातक को अकारण भी कष्ट दे देते है।
केतु के शुभ फल
1. केतु जब शुभ फल देता है। तो आप नया वाहन लेते है।
2. जातक को शेर बना देता है।
3. जातक के शत्रुओं का नाश कर देता है।
विधि
हवन करने से पहले गणेश भगवान का पूजन करे। फिर गुरु पूजन करे। अगर आपका गुरु नही है। तो कोई भी परेशानी नही। फिर अपने पित्तर देवता का पूजन करे। उसके बाद कुल देवी देवताओं का पूजन करे। नगर खेड़ा, धरती माता नवग्रह का पूजन करे। ज्यादा जानकारी के लिये नीचे आपको हमारी वीडियो मिल जाएगी।
Shani dev shanti sidh shabar mantra with poojan vidhi.
हवन का शाबर मंत्र, Ketu grah shanti shabar mantra.
ॐ गुरुजी, केतु ग्रह कृष्ण काया । खोजो मन विषय माया । रवि चन्द्रा संग साधे । काल केतु याते पावे । केतु जाति का असरु जेमिनी गोत्र काला नुर ।। अन्तरवेद क्षेत्र स्थापना थाप लो । लो पूजा करो रौद्र घोर ।। सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । 7 वार, 27 नक्षत्र, 9 ग्रह, 12 राशि, 15 तिथि । सोम-रवि शुक्र शनि । मंगल बुध-राहु-गुरु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ केतु मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा
हवन सामग्री
गौघृत तथा कुशा की लकड़ी। हवन सामग्री, नवग्रह समिधा, पानी वाला नारियल, पानी का कलश, रौली मौली, गणेश भगवान बनाए सुपारी से, देसी घी का दिपक, धूप दिशा पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्या 108 जाप
Brihaspati dev sidh shabar mantra, and vidhi
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