शनि देव को शांत करने का सिद्ध शाबर मंत्र व हवन पूजन की सही विधि | Shani dev shanti sidh shabar mantra.
नमस्कार दोस्तों आप सब का स्वागत है। हमारी website mantramol मे, आज की पोस्ट हम आपको ” Shani dev shanti sidh shabar mantra ” के बारे में बताने जा रहा हूँ। कैसे हम शनि देव को हवन पूजन व कुछ उपायों से कैसे शांत कर सकते हैं। और हम कैसे शनि देव की कृप्या प्राप्त कर सकते है। आज आपको सब बताया जाएगा। शनि देव का स्वाभ, जाति, वर्ण। शनि देव के बुरे व अच्छे प्रभाव। इनका हमारे जीवन पर कैसा असर पड़ता है। दोस्तों शनि देव के बुरे प्रभाव से हमे कौनसे रोगो का सामना करना पड़ सकता है। ज्यादा जानकारी के लिए हमारी इस पोस्ट को अंतिम तक पढ़े।
चरित्र
शनि देव भगवान सूर्य व माता छाया के पुत्र थे। इनके इलावा यम व यमुना दो पुत्र पुत्री और थे। पर उनकी माता संज्ञा थी। शनि देव माता छाया के पुत्र थे। और भगवान शिव के शिष्य थे। भगवान शिव ने शनि देव को न्याय का देवता घोषित किया था। और इनको नवग्रह मे स्थान दिया था। इनका स्थान ग्रहो मे सातवें स्थान पर शुक्र ग्रह के बाद आता है। शनि देव को न्याय के देवता नाम से पहचाना जाता है। बोला जाता है। जब भगवान शनि देव का न्याय दंड चक्र चलता है।
तो राजा को रंक और रंक को राजा बना सकता है। शनि देव की दृष्टि के बारे मे तो सब जानते है। इनकी दृष्टि से तो दवी देवता भी डरते थे। और उनकी दृष्टि से बचने का प्रयास करते रहते थे। किंतु शनि बिना कारण किसी पर अपनी दृष्टि नही डालते थे। उसके पीछे कोई ना कोई बड़ा कारण होता था।
शनि देव का स्वाभ व जाति वर्ण
- यह ग्रह नपुंसक जाति, कृष्ण वर्ण, पश्चिम दिशा का स्वामी, वायु-तत्व तथा वातश्रुष्मिक प्रकृति का है।
- इसके द्वारा आयु, शारिरिक बल, दृढ़ता विपत्ती, प्रभुता, मोक्ष, यश, ऐश्वर्य, नौकरी, योगाभ्यास, विदेशी भाषा एवं मुर्छा आदी रोगों का विचार किया जाता हैं ।
- यदी जातक का जन्म रात्री में हुआ हो तो यह माता और पिता का कारक होता है।
- शनि सप्तम स्थान में बलि होता हैं तथा किसी वक्री ग्रह अथवा चन्द्रमा के साथ रहने पर चेष्टाबली हैं।
- यह क्रुर तथा पाप ग्रह हैं, परन्तु इसका अन्तिम परिणाम सुखद होता है। यह मनुष्य को दुर्भागय और संकटो में डालकर, अन्त में उसे शुद्ध तथा सात्विक बना देता हैं।
शनि देव के हमारे जीवन पर बुरे प्रभाव
- धन-संपत्ति का किसी भी तरह नाश कर देता है
- घर में लड़ाई-झगड़े के होने लग जाते है। जिसके कारण परिवार में फूट पड़ जाती है।
- मकान को कोई न कोई नुकसान होता है। कोई हिस्सा गिर भी सकता है। या फिर आपका मकान बिक भी सकता है।
- जातक का दिमागी संतुलन खराब हो जाता है। और अजीब तरहा की हरकते करने लग जाता है।
- बुरे-बुरे सपने आते है।
- बिना किसी कारण के क्रोध आने लगता है। छोटी छोटी बातो पर झगड़ा करने लग जाता है। और तोड़ फोड़ भी कर देता है।
- बुद्धि बिल्कुल वरिष्ठ हो जाती है।
- घर को छोड़ कर चला जाता है। और बाहर मारा मारा फिरता है।
- अपने सगे सबंधी मित्र व लोग सब मुह मोड़ लेते है।
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शनि देव के बुरे प्रभाव के कारण
- पर स्त्री के साथ सबंध बनाना, ज़बरदस्ती करके संभोग करना।
- अपनी पत्नी के साथ मार पीट करना। मास मदिरा का सेवन करना।
- अपने माता पिता का अपमान करना व उनके ऊपर हाथ चकना।
- जुआ सट्टा खेलना व नशे पत्ते करना।
- छोटी सी कन्याओं पर गंदी दृष्टि डालना।
- किसी भी देवी व स्त्री का अपमान करना।
- देवी देवताओं का अपमान करना व उन्हें गालिया देना।
- साधु संतों को मारना पीटना व उनका अपमान करना।
- पीपल व वट वृक्ष को काटना व पेशाब करना।
- किसी के साथ धोखाधड़ी करना।
शनि को शुभ कैसे बनाए

- तिल, उड़द, लोहा, तेल, काले वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।
- हनुमान की पूजा व चालीसा का पाठ करे।
- शनि चालीसा का पाठ करे व व्रत भी रख सकते है।
- माता पिता की सेवा करे।
- शनिवार के दिन शिवलिंग पर जल व काले मां की दाल चढ़ावे।
- चिटियो को काले तिल, चावल, कोई भी दाल, नारियल व शक्कर डाले।
- सत्तनाजा दान करे।
- दो सूखे खडकते नारियल बहते पानी मे डाले।
- सुबहा के समय तारों की छाव मे पीपल को जल चढावे।
- शनिवार को हनुमान के चरणो मे सरसों का तेल चढाए।
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ध्यान रखने योग्य बाते
आज मै आपको शनि ग्रह को शाबर मंत्र से कैसे शांत कर सकते हैं। वह बताने जा रहा हूँ। शनि ग्रह का आप पर जो भी बुरा प्रभाव है। दूर हो जाएगा। आपके कार्य मे जो भी रूकावट है। वो भी दूर हो जाएगी। आपका मन शांत हो जाएगा। मै आपको जो विधि बताने जा रहा हूँ। आप वैसे ही करे कुछ भी कम या अधिक करने का प्रयास न करे। ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे। मास मदिरा से दूर रहे। प्याज लहसुन का सेवन न करे। किसी की चुगली निंदा न करे। माता पिता का आदर करे। और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।
हवन सामग्री
गौघृत तथा शमी की लकड़ी। हवन सामग्री, नवग्रह समिधा, पानी वाला नारियल, पानी का कलश, रौली मौली, गणेश भगवान बनाए सुपारी से, देसी घी का दिपक, धूप दिशा पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्या 108 जाप
Brihaspati dev sidh shabar mantra, and vidhi
हवन शाबर मंत्र shani dev shanti sidh shabar mantra
ॐ गुरुजी, शनिदेव पाँच तत देह का आसन स्थिर । साढ़े सात, बारा सोलह गिन गिन धरे धीर । शशि हर के घर आवे भान । तौ दिन दिन शनिदेव स्नान । शनिदेव जाति का तेली । कृष्ण कालीक कश्यप गोत्री ।। सौराष्ट्र क्षेत्र स्थापना थाप लो । लो पूजा हनुमान वीर की करो ।। सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-मंगल शुक्र रवि । बुध-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ शनि मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा।
विधि
हवन करने से पहले गणेश भगवान का पूजन करे। फिर गुरु पूजन करे। अगर आपका गुरु नही है। तो कोई भी परेशानी नही। फिर अपने पित्तर देवता का पूजन करे। उसके बाद कुल देवी देवताओं का पूजन करे। नगर खेड़ा, धरती माता नवग्रह का पूजन करे। ज्यादा जानकारी के लिये नीचे आपको हमारी वीडियो मिल जाएगी।
Budh grah sidh shabar mantra with full information
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