Hanuman Bajrang Baan || श्री हनुमान बजरंग बाण

श्री हनुमान बजरंग बाण || Hanuman Bajrang Baan

 

Hanuman Bajrang baan : श्री हनुमान जी के बजरंग बाण पाठ से आपको एक नही बहुत सारे लाभ होते है।

जैसे की :-

  • आपके सारे संकट दूर होगे।
  • घर मे किसी भी बुरी शक्ति का प्रभाव नही रहता।
  • .किसी भी तरह का जादू-टोना, किया-कराया नष्ट हो जाता है।
  • परिवार का कोई भी सदस्य बीमार रहता हो, घर से बीमारी नही निकलती तो बजरंग बाण का पाठ करें।
  • रोजाना बजरंग बाण के पाठ से आप दुर्घटना से सुरक्षित रहते है।
  • बजरंग बाण आपकी देह की कवच के समान रक्षा करता है।
  • आपके घर मे हमेशा कलह-क्लेश रहता हो तो बजरंग बाण का पाठ करने से शांति बनी रहती है।

बजरंग बाण

॥ दोहा ॥

निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥1॥
जन के काज विलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥2॥
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा ।
सुरसा बद पैठि विस्तारा ॥3॥
आगे जाई लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ॥4॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥5॥
बाग उजारी सिंधु महं बोरा ।
अति आतुर यम कातर तोरा ॥6॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेट लंक को जारा ॥7॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुर पुर महं भई ॥8॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी ॥9॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ।
आतुर होय दुख हरहु निपाता ॥10॥
जै गिरिधर जै जै सुखसागर ।
सुर समूह समरथ भटनागर ॥11॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले।
बैरिहिं मारू बज्र की कीले ॥12॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ।
महाराज प्रभु दास उबारो ॥13॥
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥14॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥15॥
सत्य होहु हरि शपथ पाय के ।
रामदूत धरु मारु धाय के ॥16॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥17॥

Hanuman Bajrang Baan || श्री हनुमान बजरंग बाण

पूजा जप तप नेम अचारा । 
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥18॥
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥ 19 ॥
पांय परों कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥20॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता ।
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥21॥
बदन कराल काल कुल घालक ।
राम सहाय सदा प्रति पालक ॥22॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर ।
अग्नि बेताल काल मारी मर ॥23॥
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥24॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥25॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा ।
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥26॥
चरण शरण कर जोरि मनावौ ।
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ॥27॥
उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई ।
पांय परौं कर जोरि मनाई ॥28॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥29॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल |
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥30॥
अपने जन को तुरत उबारो ।
सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥31॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै ।
ताहि कहो फिर कौन उबारै ॥32॥
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करें प्राण की ॥33॥
यह बजरंग बाण जो जापै ।
तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे ॥34॥
धूप देय अरु जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥35॥

॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥

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